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مرا داغ تو بر جان یادگار است |
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فدایش باد جان چون داغ یار است |
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اگر جان میرود گو رو غمی نیست |
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تو باقی مان که مارا با تو کار است |
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تمنای دلم کردی و دادم |
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بفرما گر تمنای دگر هست ! |
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اشارت کردی از ابرو به خونم |
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مرا باری مبارک شد جمالت |
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چو زنبور سیه گرد سر گل |
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بگردم بر سرت بیخود ز بویت |
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زلف تو سیه چرا است ؟ ما ناک |
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بسیار در آفتاب گشتست |
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صبر و دل و نام و ننگ ما بود |
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عشق آمد و هر چهار برخاست |
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تلخی نشنیدم از لبت هیچ |
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یا خود می تو هنوز قند است؟ |
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خامان پنهان دهند پندم |
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با سوختهیی چه جای پند است؟ |
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جان در خم زلف تست بنمای |
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تا بنگرمش که در چه بند است؟ |
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تا خط تو نودمید گل را |
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بر سبزه هزار ریشخند است؟ |
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خواهم سر سرو را ببرم |
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گر قد تو یک سری بلند است؟ |
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زلفت سرو پا شکسته زان است |
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کز سرو بلند اوفتادست |
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