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آن سرو سهی چه نام دارد؟ |
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کان قامت خوش خرام دارد |
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خلقی متحیرند در وی |
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تا خود هوس کدام دارد؟ |
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ماهی که به حسن او صنم نیست |
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رخسارش از آفتاب کم نیست |
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گر دور شود ز دیده غم نیست |
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کندر دل و جان مقام دارد |
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من کشتهی عشق آن جمالم |
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آشفتهی آن دو زلف و خالم |
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آنرا خبری بود ز حالم |
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کو نیز دلی به دام دارد |
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آن کس که دلم همی رباید |
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گر نیز دلم بسوخت شاید |
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تا پخته شود چنانکه باید |
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دیگ هوسی، که خام دارد |
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ای دل، چه کنی خیال خوبان؟ |
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اندیشهی زلف و خال و خوبان؟ |
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آن برخورد از جمال خوبان |
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کو نعمت و احتشام دارد |
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معشوق چو آفتاب دارم |
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با او هوس شراب دارم |
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زیرا که دلی کباب دارم |
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و آن لب نمک تمام دارد |
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قومی که مقربان دینند |
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با دردکشان نمینشینند |
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آواز دهید، تا ببینند |
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صوفی که به دست جام دارد |
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من پند کسی نمینیوشم |
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چون بر لب مطربست گوشم |
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در کیسهی آن کسست هوشم |
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کو کاسهی می مدام دارد |
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ای خواجه، حکایت مجازی |
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هرگز نبود بدین درازی |
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دریاب، که سرعشق بازی |
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داغیست که این غلام دارد |
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پوشیده چو نیست حال برتو |
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امروز می زلال بر تو |
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بی مانبود حلال بر تو |
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آن باده که دین حرام دارد |
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زان چهرهی همچو باغم، ای دوست |
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هرگز نبود فراغم، ای دوست |
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در خاک برد دماغم، ای دوست |
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بوی تو که در مشام دارد |
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خون شد دلم از غم تو، جان نیز |
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بر چهره دوید و شد روان نیز |
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سرخی رخم ببین، که آن نیز |
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از دیده و دل به وام دارد |
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شعر خوش اوحدی روانست |
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گر گوش کنی به جای آنست |
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کز بوسهی شکرین لبانست |
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این شهد که در کلام دارد |
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از گفته او ترا گذر نیست |
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وز شیوه عشق خوبتر نیست |
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آنرا غم جان ز بیم سر نیست |
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کو مذهب این امام دارد |
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