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ایها اللاهی عن العهد القدیم |
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ایها الساهی عن النهج القویم |
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استمع ماذا یقول العندلیب |
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حیث یروی من احادیث الحبیب |
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مرحبا؛ ای بلبل دستان حی! |
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کامدی، از جانب بستان حی |
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یا برید الحی! اخبرنی بما |
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قاله فی حقنا، اهل الحما |
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هل رضوا عنا و مالوا للوفا |
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ام علی الهجر استمرو اوالجفا |
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مرحبا، ای پیک فرخ فال ما! |
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مرحبا، ای مایهی اقبال ما! |
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مرحبا، ای عندلیب خوش نوا! |
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فارغم کردی، ز قید ماسوا |
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ای نواهای تو نار مصده |
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زد به هر بندم هزار آتشکده |
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مرحبا،ای طوطی شکر شکن! |
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قل فقد اذهبت عن قلبی الحزن |
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بازگو از نجد و از یاران نجد |
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تا در و دیوار را آری به وجد |
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بازگو از «زمزم» و «خیف» و «منا» |
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وارهان دل از غم و جان از عنا |
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بازگو از مسکن و مأوای ما |
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بازگو از یار بیپروای ما |
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آنکه از ما، بیسبب افشاند دست |
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عهد را ببرید و پیمان را شکست |
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از زبان آن نگار تند خو |
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از پی تسکین دل، حرفی بگو |
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یاد ایامی که با ما داشتی |
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گاه خشم از ناز و گاهی آشتی |
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ای خوش آن دوران که گاهی از کرم |
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در ره مهر و وفا میزد قدم |
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