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آخر ای مه، هلاک شد دل من، |
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در غمت چاک-چاک شد دل من. |
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بی تو، ای نوشکفته غنچهٔ گل، |
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خسته و دردناک شد دل من. |
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گر به حالم نظر کنی، چه شود؟ |
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بر سرم یک گذر کنی، چه شود؟ |
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رحمی، ای نونهال گلشن جان، |
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گر به این چشم تر کنی، چه شود. |
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به من خسته، یک نظاره بکن، |
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دردم از یک نظاره، چاره بکن. |
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تو، ز من جان بخواه تا بدهم، |
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ور نگویی سخن، اشاره بکن. |
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شعله بر خانمان من زده ای، |
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دشنه بر استخوان من زده ای. |
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از چه منعم کنی ز سوز و گداز؟ |
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تو، خود آتش به جان من زده ای. |
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اینکه زلفت کمند راه من است، |
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شرحی از طالع سیاه من است. |
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چه گنه کرده ام که می کشیَم، |
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مگر عاشق شدن گناه من است؟ |
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آه از آن چشم مست پُرفن تو! |
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وآن نهفته نگاه کردن تو! |
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دست من گر به دامنت نرسد، |
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ای صنم، خون من به گردن تو! |
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دوشنبه[پانویس ۱]، ژوییهٔ ۱۹۲۵
- ↑ دوشنبه = نام قدیمی و ایرانی شهر کنونی استالین آباد در خاک روسیهٔ شوروی، که جایی بوده است مانند دوشنبه بازار گیلان.