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فهرست کش نشاط این باغ |
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بر ران سخن چنین کشد داغ |
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کانروز که مه به باغ میرفت |
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چون ماه دو هفته کرده هر هفت |
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گل بر سر سرو دسته بسته |
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بازار گلاب و گل شکسته |
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زلفین مسلسلش گرهگیر |
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پیچیده چو حلقههای زنجیر |
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در ره ز بنیاسد جوانی |
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دیدش چو شکفته گلستانی |
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شخصی هنری به سنگ و سایه |
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در چشم عرب بلند پایه |
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بسیار قبیله و قرابات |
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کارش همه خدمت و مراعات |
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گوش همه خلق بر سلامش |
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بخت ابنسلام کرده نامش |
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هم سیم خدا و هم قوی پشت |
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خلقی سوی او کشیده انگشت |
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از دیدن آن چراغ تابان |
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در چاره چو باد شد شتابان |
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آگه نه که گرچه گنج بازد |
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با باد چراغ در نسازد |
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چون سوی و طنگه آمد از راه |
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بودش طمع وصال آن ماه |
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مه را نگرفت کس در آغوش |
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این نکته مگر شدش فراموش |
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چاره طلبید و کس فرستاد |
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در جستن عقد آن پریزاد |
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تا لیلی را به خواستاری |
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در موکب خود کشد عماری |
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نیرنگ نمود و خواهش انگیخت |
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خاکی شد و زر چو خاک میریخت |
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پذرفت هزار گنج شاهی |
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وز رم گله بیش از آنکه خواهی |
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چون رفت میانجی سخنگوی |
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در جستن آن نگار دلجوی |
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خواهش کریی بدست بوسی |
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میکرد ز بهر آن عروسی |
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هم مادر و هم پدر نشستند |
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وامید در آن حدیث بستند |
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گفتند سخن به جای خویش است |
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لیکن قدری درنگ پیش است |
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کاین تازه بهار بوستانی |
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دارد عرضی ز ناتوانی |
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چون ماه ز بهیش باز خندیم |
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شکرانه دهیم و عقد بندیم |
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این عقد نشان سود باشد |
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انشاء الله که زود باشد |
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اما نه هنوز روزکی چند |
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میباید شد به وعده خرسند |
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تا غنچه گل شکفته گردد |
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خار از در باغ رفته گردد |
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گردنش به طوق زر درآریم |
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با طوق زرش به تو سپاریم |
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چون ابنسلام ازان نیازی |
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شد نامزد شکیب سازی |
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مرکب به دیار خویشتن راند |
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بنشست و غبار خویش بنشاند |
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