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خسرو کشور سخن مشتاق |
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صاحب رای پیر و طبع جوان |
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قطب سادات آن که میبخشید |
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قالب لفظ را ز معنی جان |
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آن که از بحر طبع گوهرزای |
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چون شدی در شاهوار افشان |
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از لالی نظم او گشتی |
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منفعل گوهر و خجل عمان |
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آن که اشعار او که در هر یک |
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آشکار است رازهای نهان |
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عاشقان راست چارهی غم عشق |
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عارفان راست مایهی عرفان |
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آنکه پیوسته از حجاب خفا |
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بردی از خامه مداد بیان |
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نوعروسان بکر معنی را |
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موکشان سوی جلوهگاه عیان |
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طوطی بذله گوی گلشن دهر |
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بلبل خوش نوای باغ جهان |
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چون درین تنگ آشیانه ندید |
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جای پرواز و عرصهی طیران |
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طایر روح لامکن سیرش |
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کرد آهنگ روضهی رضوان |
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حیف و صدحیف از آن یگانهی دهر |
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حیف و صدحیف از آن وحید زمان |
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که سرا بوستان عمرش را |
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موسم دی رسید و فصل خزان |
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از نوای حیات چون لب بست |
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آن خوش آهنگ مرغ خوش الحان |
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شد تذروش به باغ نوحه سرا |
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عندلیبش به باغ مرثیه خوان |
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رفت و در ماتم و مصیبت او |
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از زمین شد بلند تا کیوان |
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از دل شیخ و شاب ناله و آه |
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از لب مرد و زن خروش و فغان |
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چون سوی باغ خلد کرد آهنگ |
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هاتف از خامهی شکسته زبان |
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بهر تاریخ زد رقم (دایم |
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جام مشتاق باد صحن جنان) |
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