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از خواص سخای مجد کرم |
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که همه دین و دانش و دادست |
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آنکه گردون در انتظام امور |
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تا که شاگرد اوست استادست |
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آنکه تا بنده میخرد جودش |
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در جهان سرو و سوسن آزادست |
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آنکه با اشتمال انصافش |
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ایمنی را کمینه بنیادست |
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سال و ماه از تواتر کرمش |
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کان و دریا ازو به فریادست |
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معجزی بین که غور اشکالش |
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نه به پای توهم افتادست |
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گوییا لا اله الا الله |
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از خواص پیمبری زادست |
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واندرین روزها مگر کرمش |
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حاجتم را زبان همی دادست |
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که ندانی خبر همی داری |
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که ز بختت چه کار بگشادست |
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غایت مهر خواجه بردادن |
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مهر زر از پی تو بنهادست |
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طلبم چون نکرد آن تعجیل |
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که در اخلاق آدمی زادست |
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رغبت همتش که رتبت او |
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از ورای خراب و آبادست |
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خواجهای را که خازن او اوست |
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معطی کافتاب ازو رادست |
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کیست آن کس عطارد فلکی |
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که بدو جان آسمان شادست |
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دوش وقت سحر بدان معنی |
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که مرا زانچه گفتهام یادست |
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نابیوسان ز بخت و طالع من |
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به تقاضای آن فرستادست |
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آفرین باد بر چنین معطی |
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کافرینش به نزد او بادست |
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