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این مجلس خواجهی جهانست |
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یا شکل بهشت جاودانست |
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یا منشاء ملک و نشو دین است |
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یا موقف عرض انس و جانست |
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اوجش فلکیست کز بلندی |
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معیار عیار آسمانست |
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صحنش حرمی که در حریمش |
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از سایه و آفتاب امانست |
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راز دل زهره و عطارد |
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در زخمهی مطربش نهانست |
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سقفش به صدا پس از دو هفته |
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بیهیچ مدد نشید خوانست |
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خورشید مروق ار ندیدی |
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در ساغر ساقیانش آنست |
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تا قبهی آسمان گردان |
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گرد کرهی زمین روانست |
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این قبله نشانهی زمین باد |
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چونانکه نشانهی جهانست |
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خرم ز نشستن وزیری |
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کز مرتبه پادشا نشانست |
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به خدایی که بذل جان او را |
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پایهی اولین احسانست |
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کمترین پایه لطف و صنعش را |
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باد نوروز و ابر نیسانست |
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که مرا در فراق خدمت تو |
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زندگانی و مرگ یکسانست |
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از هر آسانیی که بیتو بود |
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خاطر و طبع من هراسانست |
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میکشم در فراق سختیها |
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هجر یاران به گفتن آسانست |
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دل و جان تا مقیم خوارزمند |
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وای بر تن که در خراسانست |
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خوشدلی در جهان طمع کردن |
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هم ز سودای طبع انسانست |
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