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این بوی بهارست که از صحن چمن خاست |
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یا نکهت مشکست کز آهوی ختن خاست |
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انفاس بهشتست که آید به مشامم |
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یا بوی اویسست که از سوی قرن خاست |
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این سرو کدامست که در باغ روان شد |
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وین مرغ چه نامست که از طرف چمن خاست |
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بشنو سخنی راست که امروز در آفاق |
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هر فتنه که هست از قد آن سیم بدن خاست |
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سودای دل سوختهی لاله سیراب |
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در فصل بهار از دم مشکین سمن خاست |
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تا چین سر زلف بتان شد وطن دل |
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عزم سفرش از گذر حب وطن خاست |
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آن فتنه که چون آهوی وحشی رمد از من |
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گوئی ز پی صید دل خستهی من خاست |
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هر چند که در شهر دل تنگ فراخست |
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دل تنگیم از دوری آن تنگ دهن خاست |
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عهدیست که آشفتگی خاطر خواجو |
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از زلف سراسیمهی آن عهدشکن خاست |
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