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آن را که به لطف سر بخاری |
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از عقل و معامله برآری |
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از یک نظرت قیامتی خاست |
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یا رب تو در آن نظر چه داری |
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از لعل تو دل دری بدزدید |
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دزد است از آنش میفشاری |
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بفشار به غم تو دزد خود را |
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غم نیست چو هم تو غمگساری |
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بفشار که رخت ممنان را |
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پنهان کرده است از عیاری |
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یا من نعش العبید فضلا |
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من کل مواقع العثار |
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بالفضل اعاد ما فقدنا |
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بعد الحولان و التواری |
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فجرت من الهوا عیونا |
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فی مرج قلوبنا جواری |
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تخضر بمائها غصون |
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فی الروح لذیذه الثمار |
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یا من غصب القلوب جهرا |
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ثم اکرمهن فی السرار |
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دی رفت و پریر رفت و امروز |
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جان منتظر است تا چه آری |
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هر روز ز تو وظیفه دارد |
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این باز هزار گون شکاری |
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برگیر کلاه از سر باز |
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تا پر بزند در این صحاری |
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زان پیش که میدهد مرا دوست |
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آن لطف نمود و بردباری |
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که مست شدم ز باده ماندم |
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اندر بر لطف و حق گزاری |
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آید از باغ لطف و سبزی |
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آید ز بهار هم بهاری |
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ای باد بهار عشق و سودا |
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بر خسته دلان چه سازگاری |
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اسکت و افتح جناح عشق |
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حان الجولان فی المطار |
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خاموش که غیر حرف و آواز |
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بی صد لغت دگر سواری |
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