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دلم بوسه ز آن لعل نوشین خوهد |
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و گر در بها دنیی و دین خوهد |
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لب تست شیرین، زبان تو چرب |
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چو صوفی دلم چرب و شیرین خوهد |
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جهان گر سراسر همه عنبر است |
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دلم بوی آن زلف مشکین خوهد |
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نگارا غم عشقت از عاشقان |
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چو کودک گهی آن و گه این خوهد |
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مرا گفت جانان خوهی جان بده |
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درین کار او مزد پیشین خوهد |
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چو خسرو اگر میخوهی ملک وصل |
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چو فرهاد آن کن که شیرین خوهد |
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چو خندم ز من گریه خواهد ولیک |
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چو گریم ز من اشک خونین خوهد |
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نه عاشق کند ملک دنیا طلب |
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نه بهرام شمشیر چوبین خوهد |
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کند عاشق اندر دو عالم مقام |
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اگر در لحد مرده بالین خوهد |
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به ما کی درآویزد ای دوست عشق |
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که شاه است و هم خانه فرزین خوهد |
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چو من بوم را کی کند عشق صید |
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که شهباز کبک نگارین خوهد |
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درین دامگه ما چو پر کلاغ |
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سیاهیم و او بال رنگین خوهد |
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بر آریم گرد از بساط زمین |
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اگر اسب شطرنج شه زین خوهد |
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به دست آورمگر، ز چون من گدا |
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سگ کوی او نان زرین خوهد |
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تو از سیف فرغانیی بینیاز |
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توانگر کجا یار مسکین خوهد |
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