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بی روی یار صبر میسر نمیشود |
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بیصورتش حباب مصور نمیشود |
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با او دمی وصال به صد لابه سالها |
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تقریر میکنیم و مقرر نمیشود |
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گفتم که بوسهای بربایم ز لعل او |
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مشکل سعادتیست که باور نمیشود |
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جز آنکه سر ببازم و در پایش اوفتم |
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دستم به هیچ چارهی دیگر نمیشود |
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افسرده دل کسی که ز زنجیر زلف او |
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دیوانه مینگردد و کافر نمیشود |
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عشقش حکایتیست که از دل نمیرود |
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وصفش فسانهایست که باور نمیشود |
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تا بوی زلف یار نمیآورد صبا |
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از بوی او دماغ معطر نمیشود |
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ساقی بیار باده که هر لحظه عیش خوش |
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بیمطرب و پیاله و ساغر نمیشود |
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گفتی به صبر کار میسر شود عبید |
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تدبیر چیست جان برادر، نمیشود |
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