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ای راه تو بحر بی کرانه |
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عشق تو ندیم جاودانه |
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از عشق تو صد هزار آتش |
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در سینه همی زند زبانه |
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گر بنماید زبانهای روی |
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برهم سوزد همه زمانه |
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دو کون به هیچ باز آمد |
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زین گونه که عشق کرد خانه |
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مرغ دل ما ز عشق تو ساخت |
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بیرون دو کون آشیانه |
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مرغی که چنین شگرف افتاد |
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خون میگرید ز شوق دانه |
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گفتم دل پر غم من آخر |
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گردد به وصال شادمانه |
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در عشق تو چون قدم توان زد |
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پیش قدمی صد آستانه |
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فیالجمله چه گویم و چه جویم |
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جمله تویی و دگر بهانه |
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مقصود تویی و جز تو هیچ است |
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این است سخن دگر فسانه |
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عطار چو بی نشان شد از تو |
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او را بنشان ازین نشانه |
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