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در عشق تو، عقل سرنگون گشت |
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جان نیز خلاصهٔ جنون گشت |
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خود حال دلم چگونه گویم؟ |
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کان کار به جان رسیده چون گشت |
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بر خاک درت به زاریِ زار |
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از بس که به خون بگشت، خون گشت |
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خون دل ماست یا دل ماست |
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خونی که ز دیدهها برون گشت؟ |
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درمان چه طلب کنم؟ که عشقت |
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ما را سوی درد رهنمون گشت |
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آن مرغ که بود زیرَکَش نام |
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در دام بلای تو زبون گشت |
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لختی پر و بال زد به آخِر |
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از پای فتاد و سرنگون گشت |
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تا دور شدم من از در تو |
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از ناله دلم چو ارغنون گشت |
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تا قوّت عشق تو بدیدم |
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سرگشتگیم بسی فزون گشت |
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تا درد تو را خرید عطّار |
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قد اَلِفَش بِسان نون گشت |
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عطار که بود کشتهٔ تو |
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دریاب که کشتهتر کنون گشت |
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