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مرحبا! مرحبا! نسیم صبا |
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خبر از دوست چیست؟ باز نما |
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حال ما بین درین پریشانی |
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باز گو تا ازو چه میدانی؟ |
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این چنینم هنوز بگذارد؟ |
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یا عزیمت بدین طرف دارد؟ |
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گوییا تخم مهر ما کارد |
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یا خود از ما فراغتی دارد |
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سخن بیدلان به یاد آرد؟ |
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یا خود او این سرود نشمارد؟ |
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باشدش هیچ میل و رغبت ما؟ |
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یا فراموش کرده صحبت ما؟ |
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گوییا در دلش وفا با ماست |
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یا هنوزش سر جفا با ماست |
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خاطرش هیچ سوی ما نگرد؟ |
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یا دگر نام بیدلان نبرد؟ |
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هیچ داند که حال ما چون است؟ |
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یا ز ما خود دلش دگرگون است؟ |
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دوری از ما هنوز میجوید؟ |
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یا ز ما خود سخن نمیگوید؟ |
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از جمالش اگرچه محرومم |
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هر چه خواهد کند، که مظلومم |
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جز مرادش مرا مرادی نیست |
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غیر او خاطری و یادی نیست |
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هست جانم چنان بدو مشغول |
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که ندانم فراق را ز وصول |
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خود ندانم که در چه کارم من؟ |
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با وی از خود خبر ندارم من |
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در کمندش چنان گرفتارم |
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که خلاصی طمع نمیدارم |
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گرچه او خود نمیبرد نامم |
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تا برفت او، برفت آرامم |
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هرکه جانش ز روی دوست بود |
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میل جانش به سوی دوست بود |
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دیده، کو طالب جمال تو شد |
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باعثش قوت خیال تو شد |
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