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دلبرا تا تو یار خویشتنی |
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در پی اختیار خویشتنی |
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بیقرارند مردم از تو و تو |
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همچنان برقرار خویشتنی |
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عالم آیینهی جمال تو شد |
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هم تو آیینهدار خویشتنی |
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با چنین زلف و رخ نه فتنهی ما |
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فتنهی روزگار خویشتنی |
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تو منقش بسان دست عروس |
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از رخ چون نگار خویشتنی |
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زینت تو ز دست غیری نیست |
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تو چو گل از بهار خویشتنی |
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در شب زلف خود چو مه تابان |
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از رخ چون بهار خویشتنی |
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من هزار توام به صد دستان |
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گلستان هزار خویشتنی |
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کس به تو ره نمیبرد، هم تو |
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حاجب روز بار خویشتنی |
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کار تو کس نمیتواند کرد |
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تو به خود مرد کار خویشتنی |
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بار تو دل به قوت تو کشد |
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پس تو حمال بار خویشتنی |
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من کیم در میانه واسطهای |
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ور نه تو دوستدار خویشتنی ... |
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