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سر به سر از لطف جانی ساقیا |
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خوشتر از جان چیست؟ آنی ساقیا |
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میل جانها جمله سوی روی توست |
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رو، که شیرین دلستانی ساقیا |
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زان به چشم من درآیی هر زمان |
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کز صفا آب روانی ساقیا |
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از می عشق ار چه سرمستی، مکن |
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با حریفان سرگرانی ساقیا |
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وعدهای میده، اگر چه کج بود |
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کز بهانه در گمانی ساقیا |
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بر لب خود بوسه ده، آنگه ببین |
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ذوق آب زندگانی ساقیا |
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از لطافت در نیابد کس تو را |
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زان یقینم شد که جانی ساقیا |
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گوش جانها پر گهر شد، زانکه تو |
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از سخن در میچکانی ساقیا |
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در دل و چشمم ز حسن و لطف خویش |
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آشکارا و نهانی ساقیا |
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نیست در عالم عراقی را دمی |
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بر لب تو کامرانی ساقیا |
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